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हरदा मंडी में संदीप पटेल ने रचा फर्जीवाड़ा: जमीन को उप-पट्टे पर देने की मिलीभगत उजागर

पूर्व मंत्री कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल द्वारा मंडी समिति की जमीन का किया गया दुरुपयोग

हरदा जमीन घोटाले में बड़ा खुलासा: संदीप पटेल ने फर्जी नोटशीट से पेट्रोल पंप के लिए जमीन हासिल की

हरदा मंडी में संदीप पटेल ने रचा फर्जीवाड़ा: जमीन को उप पट्टे पर देने की मिलीभगत उजागर।

पूर्व मंत्री कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल द्वारा मंडी समिति की जमीन का किया गया दुरुपयोग।

हरदा में भूमि घोटाला, संदीप पटेल ने फर्जी दस्तावेजों से पेट्रोल पंप के लिए भूमि दी।

भोपाल । मध्य प्रदेश में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल द्वारा हरदा मंडी समिति की जमीन से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, संदीप पटेल और मंडी समिति के अधिकारियों ने मिलकर एक पेट्रोल पंप कंपनी को मंडी की जमीन का पट्टा देने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए और इन फर्जी दस्ताबेजों के आधार पर पेट्रोल पंप कंपनी को जमीन आवंटित की गई जिसका वास्तविक मालिकाना हक पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल के बड़े बेटे का है।
यह घोटाला उस समय सामने आया जब मामले की गहराई से जांच की गई। प्राप्त दस्तावेजों से हरदा मंडी घोटाला उजागर हुआ है। इस पूरे घोटाले में यह खुलासा हुआ कि संदीप पटेल ने कमल पटेल के रसूख का लाभ उठाकर मंडी समिति से एक भूमि का पट्टा प्राप्त किया और उसे पेट्रोल पंप के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर किराए पर दिया। जबकि मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड में इस तरह का कोई नियम या कानून है और न ही पट्टे को हस्तांरण करने का कोई प्रावधान है। मंडी समिति हरदा ने एक बैठक कर संदीप से किये गए अनुबंध की एक शर्त समाप्त कर दी लेकिन यह अधिकार क्षेत्र मंडी समिति के पास नहीं था। इस प्रक्रिया में नियमों और कानूनी प्रावधानों की अनदेखी की गई, जो राजनीतिक प्रभाव का स्पष्ट दुरुपयोग दर्शाता है।

*घोटाले की जड़ें:-*
2005 में मंडी समिति ने अपनी एक भूमि का एक हिस्सा कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल को पट्टे पर दिया था। पट्टे की शर्तों के अनुसार, इस भूमि का उपयोग दो वर्षों के भीतर किया जाना था और इसे उप पट्टे पर देने की अनुमति नहीं थी। हालांकि, 2009 तक इस भूमि का कोई उपयोग नहीं किया गया। इसके बावजूद, तत्कालीन मंत्री कमल पटेल के प्रभाव में न तो पट्टा निरस्त किया गया और न ही कोई कार्रवाई की गई।
संदीप पटेल ने मंडी समिति को पत्र लिखकर इस भूमि को पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए उप पट्टे पर देने की अनुमति मांगी। इसके बाद मंडी सचिव ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (एचपीसीएल) को पत्र लिखकर यह कहा कि यदि उक्त भूमि वह पेट्रोल पंप स्थापित करती है तो मंडी समिति को कोई आपत्ति नहीं होगी। यह घटनाक्रम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मंडी समिति, संदीप पटेल और पेट्रोल पंप कंपनी के बीच मिलीभगत थी।
*फर्जी नोटशीट और भूमि के उप पट्टे का खेल:-*
मंडी समिति ने 2010 में इस मुद्दे को मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड भोपाल के पास भेजा। इस प्रस्ताव में यह मांग की गई कि मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 के नियम के भीतर पूर्व मंत्री के बेटे संदीप से किये गए अनुबंध की कंडिका आठ में संशोधन किया जाए, ताकि भूमि को उप पट्टे पर देने की अनुमति मिल सके। जब बोर्ड से इस संशोधन की मंजूरी नहीं मिली, तो मंडी सचिव संजीव श्रीवास्तव ने फर्जी नोटशीट तैयार की और इसे यह दर्शाने के लिए पेश किया कि नियमों में संशोधन किया गया है। और मंडी समिति ने बैठक में अनुबंध की शर्त (कंडिका 8) को समाप्त कर दिया, जिसमें यह लिखा था कि पट्टा धारक उक्त भूमि को उप-पट्टे/किराए पर नहीं देगा। जबकि नियमों में मंडी बोर्ड ने किसी भी प्रकार का संसोधन नहीं किया है। एवं आज दिनांक तक ऐसा न कोई नियम बना और न ही कोई ऐसा प्रावधान हुआ।
इस फर्जी नोटशीट के आधार पर 11 फरवरी 2011 को संदीप पटेल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पाेरेशन लिमिटेड के बीच अनुबंध हुआ, जिसमें यह तय किया गया कि पेट्रोल पंप कंपनी संदीप पटेल को 23,500 रुपये प्रति माह किराया देगी। प्रतिवर्ष वार्षिक वृद्धि की जाएगी। यह राशि मंडी समिति द्वारा निर्धारित किराए से कहीं अधिक थी, जो केवल 731.50 रुपये था।

*नियमों का उल्लंघन और सत्ता का दुरुपयोग:-*

संदीप पटेल ने जिस भूमि को सेवा कार्यों के लिए पट्टे पर लिया था, उसे बिना किसी कानूनी बदलाव के व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया। यह न केवल नियमों का उल्लंघन था, बल्कि मंडी समिति की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। संदीप पटेल ने यह सब अपने पिता कमल पटेल के मंत्री रहते हुए किया, जिससे यह साफ नजर आता है कि सत्ता के दुरुपयोग के कारण सरकारी नियमों और कानूनों की अनदेखी की गई।
*एक घोटाले की पूरी कहानी:-*
2008 में संदीप पटेल पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था, जिसके कारण उसे पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए जरूरी चरित्र प्रमाण पत्र और एनओसी प्राप्त करना मुश्किल था। नियमों के अनुसार, पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर से मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य था, जो संदीप पटेल को नहीं मिल सकती थी। इस स्थिति को देखते हुए उसने पेट्रोल पंप अधिकारियों से मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया। संदीप पटेल ने एचपीसीएल से साठगांठ कर उस भूमि को उप पट्टे पर दिया और इसके बदले में लाखों रुपये किराया लिया।

*कानूनी और प्रशासनिक पक्ष:-*
मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 के अनुसार, पट्टे पर दी गई भूमि को उप पट्टे पर देना निषिद्ध था। 25 मई 2009 को प्रकाशित राजपत्र के अनुसार, यह स्पष्ट किया गया था कि पट्टे पर दी गई भूमि को किराए पर नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा, यह भी कहा गया था कि यदि पट्टे पर दी गई भूमि का उपयोग दो वर्षों के भीतर नहीं किया जाता है, तो मंडी समिति के पास उसे वापस लेने का अधिकार है।
इस मामले में संदीप पटेल द्वारा भूमि का उप पट्टे पर दिया जाना और इसके बदले किराया प्राप्त करना न केवल नियमों का उल्लंघन था, बल्कि यह सरकारी संपत्ति का गलत तरीके से निजी लाभ के लिए उपयोग करने का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
*घोटाले की पुष्टि :-*
इस मामले की पुष्टि सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों से हुई है, जो सभी तथ्यों को प्रमाणित करते हैं। यह घोटाला सत्ता और प्रभाव के दुरुपयोग का एक गंभीर उदाहरण है, जो स्पष्ट रूप से सरकारी नियमों की अवहेलना और निजी स्वार्थ की ओर इशारा करता है। हम इस घोटाले की पूरी जांच की मांग करते हैं, एवं हरदा मंडी समिति के अधिकारी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेट लिमिटेड के अधिकारी कमल, पूर्व मंत्री कमल पटेल, बेटे संदीप पटेल, तत्कालीन कलेक्टर, जिला एसपी एवं संदिग्ध लोगों के विरुद्ध जांच उपरांत कार्रवाई की मांग करते हैं।
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