भोपाल । बैतूल जिले में सूचना के अधिकार (RTI) का मखौल उड़ाने का एक और मामला सामने आया है। फरवरी 2024 में सूचना के अधिकार के तहत जिले की आर्म्स शाखा से गन लाइसेंस के रिकॉर्ड की जानकारी मांगी गई थी, लेकिन अब तक यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है।
सूचना आयुक्त के आदेश की अनदेखी
सूचना के अधिकार के तहत दायर पहली अर्जी पर कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद अपील में तीसरी पार्टी का बहाना बनाकर जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद मामला सूचना आयुक्त के पास पहुंचा। 26 दिसंबर 2024 को सूचना आयुक्त ने आदेश दिया कि 5 दिनों के भीतर जानकारी उपलब्ध कराई जाए। लेकिन आदेश के एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी रिकॉर्ड मुहैया नहीं कराया गया।
गायब हुआ गन लाइसेंस का रिकॉर्ड
जानकारी के अनुसार, आर्म्स शाखा के अधिकारियों ने सूचना आयुक्त के आदेश के बाद से ही देवेंद्र सिंह पिता शंभू सिंह का रिकॉर्ड गायब कर दिया। आरोप है कि शंभू सिंह चंबल संभाग का निवासी है और उसने 2007 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैतूल जिले में गन लाइसेंस बनवाया था।
रिकॉर्ड गायब, लेकिन नवीनीकरण होता रहा
सूचना आयुक्त के आदेश के बाद आर्म्स शाखा में हड़कंप मच गया। 2006 के बाद से रिकॉर्ड खोजने के लिए कर्मचारियों को लगाया गया, लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिला। सवाल उठता है कि जब रिकॉर्ड गायब है तो लाइसेंस का नवीनीकरण कैसे होता रहा? यह सीधे तौर पर रिकॉर्ड के गुम होने और गन लाइसेंस धारक से मिलीभगत का मामला है।
कोई ठोस कार्रवाई नहीं
इतना बड़ा मामला सामने आने के बावजूद अब तक किसी अधिकारी या कर्मचारी पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। केवल क्लर्कों को नोटिस जारी किया गया है, जबकि आरोप है कि इन्हीं क्लर्कों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाइसेंस जारी किया और बाद में रिकॉर्ड गायब कर दिया।
बड़ा सवाल: क्या इसी तरह जारी होते रहेंगे फर्जी लाइसेंस?
बैतूल जिले में इस तरह के मामले यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या प्रदेश में इसी तरह फर्जी गन लाइसेंस जारी होते रहेंगे? सूचना आयुक्त के आदेश का पालन कब तक होगा, यह देखना बाकी है।