भोपाल। प्रदेश के शासकीय और अर्धशासकीय विभागों में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार ने एक नई नीति जारी की है, जिससे अब उन्हें श्रम कानूनों का पूरा लाभ मिल सकेगा। इस नई नीति के तहत, सभी शासकीय और अर्धशासकीय विभागों के प्रमुखों को अनिवार्य रूप से अपने आउटसोर्स कर्मचारियों और श्रमिकों का पंजीयन श्रम आयुक्त कार्यालय में कराना होगा।
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच श्रमिक प्रकोष्ठ ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि लंबे समय से आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए किसी प्रभावी नीति के अभाव में उनका शोषण हो रहा था। श्रम कानूनों का लाभ न मिलने के कारण ये कर्मचारी न्यायपालिका, सरकारी योजनाओं और श्रम अधिनियमों से वंचित रह जाते थे।
नई नीति के लागू होने के बाद, आउटसोर्स कर्मचारियों को अब वेतन, पीएफ, ग्रेच्युटी, बोनस, ओवरटाइम, बीमा, और कर्मचारी भविष्य निधि जैसी सुविधाओं का लाभ मिलेगा। श्रम आयुक्त के निर्देशों के तहत वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों को उनके अधिकारों की सुरक्षा मिलेगी।
सरकार की इस पहल से प्रदेश के लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है, जो अब तक श्रम कानूनों के दायरे से बाहर थे।