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भीषण गर्मी में जमकर पसीना बहा रहे विवेक तन्खा

जीतू, अरूण, उमंग का मिला साथ:हताशा को उत्सास में बदला
भोपाल । लोक सभा चुनाव के दौरान कभी कांग्रेस के पास दिग्गज नेताओं की फौज हुआ करती थी। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी, कांति लाल भूरिया आदि नेता सूबे में धुआंधार दौरे कर कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान सम्हालते थे। लेकिन 2024 के आम चुनाव में सब कुछ बदल गया है। दिग्विजय सिंह अपने निर्वाचन क्षेत्र राजगढ़ तो कमलनाथ छिंदवाड़ा में सिमट कर रह गए। सिंधिया, पचौरी कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं। कांति लाल भूरिया भी अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकल सके। ऐसी विषम परिस्थितियों में देश के सुप्रसिद्ध विधिवेत्ता एवं राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा ने पहले चरण के मतदान तक जिस तरह से ताबड़तोड़ दौरे किए हैं, उससे राजनीति के जानकार भी हैरान हैं। तन्खा ने पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव के साथ परस्पर तालमेल बनाकर समूचे प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान का परचम बुलंद रखा। अरूण और जीतू के साथ ही नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने संयुक्त रूप से विवेक तन्खा को साथ लेकर जिस तरह से मेहनत की है, उससे कांग्रेस को दिग्विजय सिंह, कमलनाथ आदि नेताओं की कमी का अहसास नहीं हुआ। भीषण गर्मी में गली मुहल्लों व सड़कों पर घूमते हुए रोड शो और आम सभाएं करके विवेक कृष्ण तन्खा ने अपनी नई छबि विकसित कर ली है। उनके इस नए लुक को देखकर उनके घोर विरोधी भी आश्चर्यचकित हैं। संकट के समय में जब खुद को कांग्रेस का वफादार कहलाने वाले कई नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं, निराशा के ऐसे दौर में विवेक तन्खा ने सियासत के मैदान में पसीना बहा कर और बिखरे कार्यकर्ताओं को एकजुट करके यह संदेश दिया है, कि जब पार्टी को उनकी जरूरत है तो वह भी कांग्रेस के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। पहले चरण का मतदान सम्पन्न होने के बाद भी तन्खा जिस तरह से अरूण, जीतू व उमंग के साथ सूबे की खाक छान रहे हैं, उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निश्चित रूप से उत्साह का संचार हुआ है। निराशा के दौर से गुजर रहे कांग्रेस वर्कर्स यह कहने लगे हैं कि सूबे की सियासत में विवेक तन्खा के रूप में एक बेबाक, बेदाग, और प्रभावशाली नेता कांग्रेस को मिल गया है। जिसका लाभ पार्टी को आज नहीं तो कल जरूर मिलेगा।

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