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अमेरिका का दोहरा मापदंड: पन्नू मामले में आतंकी या अलगाववादी करार नहीं

यूयॉर्क | सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में अमेरिका ने बड़ा कदम उठाते हुए 40 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में भारत पर साजिश का आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि इसमें भारत की खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के एक अधिकारी की भूमिका है। हालांकि, इस मामले में अमेरिका का दोहरा रवैया स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

अमेरिकी जांच एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में न तो पन्नू को आतंकी कहा, न अलगाववादी और न ही खालिस्तानी करार दिया, जबकि पन्नू लगातार भारत की एकता और संप्रभुता को चोट पहुंचाने की पैरवी करता रहा है। भारत, जिसे पन्नू के कृत्यों के कारण नुकसान हुआ है, उसे आतंकी करार दे चुका है, लेकिन अमेरिका ने उसे पीड़ित के रूप में प्रस्तुत किया है।

भारत पर आरोप, लेकिन दुश्मनों का समर्थन?

यह घटना अमेरिका के डबल स्टैंडर्ड को उजागर करती है। एक तरफ अमेरिका ने अपनी चार्जशीट में पन्नू का समर्थन दिखाया है, तो दूसरी तरफ उसने भारत के दुश्मनों को शरण देने का रवैया अपनाया है। भारतीय नागरिक विकास यादव को अमेरिकी न्याय विभाग ने फरार घोषित किया है और चार्जशीट में दावा किया है कि यादव ने अमेरिकी धरती पर एक साजिश रची, जिसमें एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की कोशिश की गई।

एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने कहा, “यादव भारतीय सरकार का कर्मचारी है, जिसने कथित रूप से अमेरिका में आपराधिक षड्यंत्र रचा और हत्या की कोशिश की।”

अमेरिका का दोहरा चरित्र सवालों के घेरे में

यह मामला इस बात को दर्शाता है कि अमेरिका, जो दूसरों पर आरोप लगाने से नहीं चूकता, वह खुद अपने रवैये की समीक्षा नहीं करता। भारत के विरोधियों को पनाह देना और उन्हें बचाना क्या उसका दोहरा मापदंड नहीं है? अमेरिका ने न केवल भारत के एक नागरिक को दोषी ठहराया, बल्कि पन्नू जैसे भारत विरोधी व्यक्ति का समर्थन कर अपने रुख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह लेख पन्नू मामले में अमेरिका के रवैये पर सवाल उठाते हुए भारत-अमेरिका संबंधों और खालिस्तानी गतिविधियों पर प्रकाश डालता है, जो SEO के लिहाज से खोजशब्दों के माध्यम से अधिक पाठकों को आकर्षित करेगा।

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