नई दिल्ली: मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध तनाव को देखते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया। इस बातचीत के दौरान उन्होंने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि क्षेत्रीय संघर्ष को और अधिक भड़कने से रोकना बेहद जरूरी है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत पश्चिम एशिया में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंता जता रहा है। बयान में सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की गई है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे का समाधान बातचीत और कूटनीति के जरिए ही संभव है।
ईरान ने किया बड़े पैमाने पर मिसाइल हमला
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते इस संघर्ष की पृष्ठभूमि में, ईरान ने इजरायल पर एक साथ 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसे हाल के इतिहास का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने दावा किया है कि इस हमले में पहली बार हाइपरसोनिक फत्ताह मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे 90% मिसाइलें इजरायली लक्ष्यों को भेदने में सफल रहीं।
हालांकि, इजरायल और अमेरिका के नेतृत्व वाले रक्षात्मक गठबंधन ने इनमें से अधिकांश मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर नष्ट कर दिया। इस बड़े हमले के बाद क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंताएं और भी बढ़ गई हैं। भारत ने इस संदर्भ में क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की है।
भारत की रणनीति: तनाव घटाने पर जोर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जोर देकर कहा कि इस क्षेत्रीय विवाद को भड़काने के बजाय सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए। भारत का रुख हमेशा से ही बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान खोजने का रहा है, और इस बार भी भारत ने इसी सिद्धांत का पालन करते हुए पश्चिम एशिया में शांति स्थापना की वकालत की है।
प्रमुख बिंदु:
भारत की अपील: संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा पर जोर।
जयशंकर की चिंता: संघर्ष को और भड़कने से रोकना जरूरी।
ईरान का दावा: 90% मिसाइलें लक्ष्यों को भेदने में सफल।
क्षेत्रीय स्थिरता: भारत ने समाधान के लिए कूटनीति पर दिया जोर।