वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल हिंसा में दोषी ठहराए गए 645 लोगों की सजा माफ करने का वादा किया है। ट्रंप ने कहा है कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बने तो शपथ लेने के पहले दिन ही यह कदम उठाएंगे।
कैपिटल हिल हिंसा: क्या हुआ था?
यह घटना 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट जो बाइडेन की जीत के बाद हुई थी। ट्रंप ने चुनाव परिणाम को खारिज करते हुए इसे “चोरी हुआ चुनाव” बताया था। इसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों को वाशिंगटन डीसी में जुटने और विरोध प्रदर्शन करने के लिए उकसाया।
6 जनवरी 2021 को, हजारों ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी संसद भवन कैपिटल हिल पर हमला कर दिया। इस दौरान तोड़फोड़, हिंसा और झड़पों में कई लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। इस घटना को “लोकतंत्र पर हमला” करार दिया गया था।
एफबीआई की कार्रवाई और सजा
कैपिटल हिल हिंसा के बाद एफबीआई और अन्य एजेंसियों ने सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया। अब तक 1,250 से अधिक आरोपियों पर मुकदमे चले हैं।
हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता माने गए एनरिक टेरियो को 22 साल की सजा सुनाई गई है। अन्य आरोपियों को एक से कई वर्षों तक की जेल हुई। ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि यह सजा अन्यायपूर्ण है।
ट्रंप का बयान और नया विवाद
ट्रंप ने अपने समर्थकों के पक्ष में बोलते हुए कहा,
“यह सिस्टम भ्रष्ट है और मेरे समर्थकों की जिंदगियां बर्बाद की गई हैं। राष्ट्रपति बनने के पहले दिन मैं इस अन्याय को खत्म करूंगा।”
इस बयान ने अमेरिका में एक नई बहस छेड़ दी है।
आलोचकों का कहना है: यह कदम न्यायिक प्रक्रिया का अपमान और लोकतंत्र के लिए खतरा है। ट्रंप समर्थकों का कहना है: यह निर्णय उनके लिए न्याय और ट्रंप की निष्ठा का प्रमाण है।
2024 के चुनावों पर असर
ट्रंप के इस वादे ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में एक नया मुद्दा खड़ा कर दिया है। यह वादा उनके कट्टर समर्थकों को और अधिक संगठित कर सकता है। दूसरी ओर, उनके विरोधियों के पास इसे ट्रंप के खिलाफ एक बड़ा हथियार बनाने का मौका मिलेगा।
निष्कर्ष:
कैपिटल हिल हिंसा और ट्रंप का वादा अमेरिकी राजनीति का महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है। यह मुद्दा ट्रंप की लोकप्रियता बढ़ा सकता है, लेकिन न्याय और लोकतंत्र के समर्थकों के लिए यह चिंता का विषय बना रहेगा।