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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर पार्टी नेताओं का असंतोष, इस्तीफे की मांग

*टोरंटो*। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई को लेकर उनके अपने पार्टी के नेताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है। पार्टी के सांसद और नेताओं ने ट्रूडो के इस्तीफे की मांग उठाई है, खासकर जब से ट्रूडो सरकार ने एनडीपी के साथ गठबंधन तोड़ा है। इस राजनीतिक संकट के बीच, मंगलवार को ट्रूडो की पार्टी के सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक शुरू होने जा रही है, जिसमें पार्टी के भविष्य पर चर्चा होनी है।

### **पार्टी के अंदर असंतोष**

लिबरल पार्टी के सांसद अलेजांदर मेंडेस ने रेडियो कनाडा पर बयान देते हुए कहा कि पार्टी के भीतर लगातार यही आवाज उठ रही है कि ट्रूडो अब पार्टी के लिए सही नेता नहीं हैं। उन्होंने बताया कि यह असंतोष केवल कुछ लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि दर्जनों पार्टी सदस्यों की यह राय है कि ट्रूडो को अब विदा ले लेनी चाहिए।

### **आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति**

ब्रिटिश कोलंबिया में आयोजित कॉकस की बैठक के दौरान, बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर मार्क कारनी को आर्थिक मामलों का विशेष सलाहकार बनाने की औपचारिक घोषणा की जा सकती है। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सोमवार को एक बयान में कहा कि कारनी के पास देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण है और वे मध्य वर्ग को सशक्त बनाना चाहते हैं।

### **विपक्ष की बढ़त और भविष्य के चुनाव**

कनाडा में हाल के सर्वेक्षणों के अनुसार, कंजरवेटिव पार्टी लिबरल पार्टी से 15 से 20 अंक आगे चल रही है। इससे आगामी चुनाव में लिबरल पार्टी की हार की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। अक्टूबर 2025 में होने वाले आम चुनाव से पहले ही ट्रूडो की सरकार गिरने की आशंका जताई जा रही है। यदि ऐसा होता है, तो मध्यावधि चुनाव भी हो सकते हैं।

### **एनडीपी का समर्थन वापस लेना**

मार्च 2022 में एनडीपी के साथ गठबंधन के बाद, एनडीपी ने सप्लाई ऐंड कॉन्फिडेंस अग्रीमेंट को रद्द कर दिया और ट्रूडो की पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया। इससे ट्रूडो की सरकार अब अल्पमत में आ गई है। कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 338 सीटें हैं, जिनमें लिबरल पार्टी के पास 154 सांसद हैं। एनडीपी के समर्थन वापसी के बाद सरकार की स्थिति कमजोर हो गई है।

### **निष्कर्ष**

जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर की राजनीति में उथल-पुथल जारी है। यदि ट्रूडो का इस्तीफा स्वीकार किया जाता है, तो इससे पार्टी की आगामी चुनावी रणनीति और देश की राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

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