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डंकी रूट: भारत-अमेरिकी रिश्तों में दरार और जानलेवा जोखिम

वॉशिंगटन | अमेरिकी चकाचौंध और बेहतर रोजगार की तलाश में भारतीयों का अमेरिका पहुंचने का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, अमेरिका तक पहुंचने का यह सफर आसान नहीं है, बल्कि बेहद जोखिमभरा है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई भारतीय अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने के लिए खतरनाक डंकी रूट का सहारा ले रहे हैं। इस प्रक्रिया में न केवल वे हजारों डॉलर गंवा रहे हैं, बल्कि जान का भी जोखिम उठा रहे हैं।

अवैध प्रवास का नया ट्रेंड

रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध तरीके से अमेरिका जाने के लिए कुछ भारतीयों ने एजेंटों को 50,000 डॉलर तक का भुगतान किया। इन खतरनाक यात्राओं में यात्री लैटिन अमेरिकी देशों से होते हुए मैक्सिको-अमेरिका सीमा तक पहुंचते हैं। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है और मौजूदा समय में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के अहम मुद्दों में से एक बनी हुई है, क्योंकि अवैध प्रवास अमेरिका में आंतरिक राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है।

अवैध प्रवास में भारी वृद्धि

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में 8,097 भारतीयों ने अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश किया था, जो 2022-23 में बढ़कर 96,917 हो गए हैं। अब भारतीय प्रवासियों की संख्या अवैध रूप से प्रवेश करने वालों में मैक्सिको और अल-सल्वाडोर के बाद तीसरे स्थान पर है।

हरियाणा और पंजाब से सबसे अधिक प्रवासी

अवैध प्रवास के मामलों में हरियाणा और पंजाब के युवाओं की बड़ी संख्या सामने आई है। हरियाणा के करनाल निवासी ने बताया कि उनके भाई ने बीते साल डंकी रूट से अमेरिका जाने की कोशिश की थी, जिसके लिए परिवार ने 30,000 डॉलर जुटाए थे।

खतरनाक रूट और तस्करों का जाल

डंकी रूट पर यात्री सबसे पहले लैटिन अमेरिकी देशों में पहुंचते हैं, जहां वे स्थानीय तस्करों से संपर्क करते हैं। इसके बाद उन्हें खतरनाक जंगलों से होते हुए मैक्सिको-अमेरिका सीमा तक पहुंचाया जाता है। एक पीड़ित ने बताया कि उसने इस साल फरवरी में भारत छोड़ा, पहले दुबई और फिर कजाकिस्तान, तुर्की, पनामा सिटी और अल सल्वाडोर पहुंचा। वहां से उसकी यात्रा का सबसे कठिन चरण शुरू हुआ, जहां फोन बंद करवा दिए गए और ग्वाटेमाला के खतरनाक इलाकों से होकर सीमा तक पहुंचाया गया।

शरण के लिए संघर्ष

अमेरिका पहुंचने के बाद प्रवासी खुद को पीड़ित बताकर शरण की मांग करते हैं। अमेरिकी कानून के अनुसार, शरण मांगने वाले व्यक्ति को अपने मामले की सुनवाई का अवसर दिया जाता है। कस्टम अधिकारी उनकी सुरक्षा जांच करते हैं और फिर यह तय करते हैं कि शरण आवेदन पर विचार किया जाएगा या नहीं।

निष्कर्ष

अमेरिका जाने के इस अवैध और जोखिम भरे सफर ने भारत-अमेरिका संबंधों में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। जहां एक ओर यह चलन भारतीय युवाओं की हताशा को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी प्रशासन के लिए अवैध प्रवास से निपटना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कानूनी मुद्दा बनता जा रहा है।

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