दमिश्क। सीरिया में 24 वर्षों तक सत्ता में रहे राष्ट्रपति बशर अल-असद का शासन विद्रोहियों के हाथों खत्म हो गया है। राजधानी दमिश्क में विद्रोहियों के प्रवेश के बाद असद अपने परिवार के साथ देश छोड़कर रूस के मॉस्को में शरण लेने को मजबूर हुए। इस घटनाक्रम ने सीरिया में असद परिवार के पांच दशक लंबे शासन का अंत कर दिया।
ईरान ने क्यों छोड़ा असद का साथ?
सीरिया में असद सरकार के पतन की एक बड़ी वजह ईरान का असद से दूरी बनाना रही। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने असद पर से भरोसा खो दिया था। ईरान के विदेश मंत्री ने इस महीने दमिश्क दौरे के दौरान साफ कर दिया था कि ईरान अब सीरिया में सेना भेजने की स्थिति में नहीं है।ईरानी अधिकारियों का मानना था कि असद सहयोगी से अधिक बोझ बन गए थे।
ईरान-असद संबंधों में दरार
ईरान में असद को “गद्दार” और “धोखेबाज” के रूप में देखा जाने लगा था। आरोप था कि असद ईरान के लक्ष्यों को सुरक्षित रखने और इजराइली हमलों को रोकने में नाकाम रहे। ईरानी अधिकारियों का कहना था कि असद की निष्क्रियता ने ईरान को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
रूस बना अंतिम सहारा
सीरिया में असद शासन के खत्म होने के बाद रूस उनका अंतिम सहारा बन गया। असद और उनका परिवार मॉस्को में शरण ले चुका है। विश्लेषकों का मानना है कि रूस ने असद को शरण देकर ईरान को संदेश दिया है कि वह अब मध्य पूर्व में अपनी भूमिका को और मजबूत करना चाहता है।
विद्रोहियों का दबदबा और दमिश्क पर कब्जा
सीरिया में विद्रोहियों ने दमिश्क और अलेप्पो जैसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। दमिश्क में विद्रोहियों के प्रवेश के बाद हालात असद के नियंत्रण से बाहर हो गए। विद्रोहियों की सफलता के पीछे उनके हथियारबंद अभियान और असद सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा माना जा रहा है।
ईरानी सरकार की प्रतिक्रिया
ईरान की मसूद पेजेश्कियन की सुधारवादी सरकार के करीबी सूत्रों के मुताबिक, असद का समर्थन जारी रखना असमझदारी था। ईरान ने असद के पतन पर हैरानी जताई, लेकिन इसे अनिवार्य माना।
असद युग का अंत और भविष्य
बशर अल-असद का पतन मध्य पूर्व की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। सीरिया में नए सत्ता समीकरण बनने की संभावना है। रूस और ईरान की प्रतिस्पर्धा क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर और बढ़ सकती है।