पश्चिम और पूर्वी एशिया में युद्ध की आहट: बढ़ते तनाव से वैश्विक चिंताएं बढ़ीं

बीजिंग। पश्चिम एशिया में पहले से जारी संघर्ष के बीच अब पूर्वी एशिया में भी टकराव की संभावनाएं तेज हो गई हैं। वैश्विक स्तर पर लगातार युद्ध की आहट सुनाई दे रही है, जिससे विश्व शांति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इतिहास में दो विश्व युद्धों का खौफनाक अनुभव झेलने के बाद, एक बार फिर दुनिया संभावित युद्ध की कगार पर खड़ी नजर आ रही है।

चीन-ताइवान तनाव चरम पर

चीन का आक्रामक रुख क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा है। ताइवान के प्रति चीन का रवैया दिनोंदिन सख्त होता जा रहा है। चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में बीते 25 घंटों के भीतर 153 विमानों की घुसपैठ की है, जिससे ताइवान ने अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा है। बीजिंग कई बार स्पष्ट कर चुका है कि आवश्यकता पड़ने पर वह ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।

दक्षिण चीन सागर में विवाद और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप

चीन ने दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा जताते हुए वहां आर्टिफिशियल एयरपोर्ट और सैन्य ठिकाने भी बना लिए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे नौवहन स्वतंत्रता का उल्लंघन मानता है। चीन का ताइवान ही नहीं, बल्कि फिलीपींस, जापान और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी तनाव बढ़ रहा है। इन हालातों के बीच अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की सैन्य उपस्थिति इस क्षेत्र में और मजबूत हो रही है।

सैन्य अभ्यासों से बढ़ती टकराव की आशंका

चीन ने हाल ही में ताइवान के नजदीकी समुद्री क्षेत्र में सैन्य अभ्यास किया, जिसमें फाइटर जेट्स, ड्रोन और युद्धपोतों का प्रदर्शन किया गया। इसने न केवल ताइवान, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। इसके जवाब में अमेरिका और फिलीपींस ने उत्तरी तट पर “वेनम” नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जिसमें 1000-1000 सैनिक दोनों देशों से शामिल हैं। इस अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया के सैनिक भी हिस्सा ले रहे हैं, जो इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को दर्शाता है।

समुद्री टकराव ने और भड़काई चिंताएं

हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के समुद्री जहाजों के बीच टकराव की घटना से सैन्य संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। इसके मद्देनजर, अमेरिका और फिलीपींस का यह सैन्य अभ्यास महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि पलावन द्वीप का तट रणनीतिक रूप से दक्षिण चीन सागर से जुड़ा है।

निष्कर्ष

चीन-ताइवान के बीच बढ़ते तनाव और दक्षिण चीन सागर में विवादित गतिविधियों के चलते हालात बेहद संवेदनशील हो गए हैं। एशिया के दोनों छोरों पर फैलते युद्ध के बादल न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।

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