वाशिंगटन | कुछ दिनों बाद दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक और ताकतवर देश, अमेरिका, नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगा। इस बार सीधी टक्कर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच है। जहां ट्रंप पिछला चुनाव हारने के बाद इस बार जीतने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कमला हैरिस, वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीतियों को आगे बढ़ाना चाहती हैं। चूंकि अमेरिकी राष्ट्रपति को दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्तियों में से एक माना जाता है, इसलिए पूरे विश्व की नजर इस चुनाव पर टिकी होती है।
अमेरिका और भारत दोनों लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन वोटिंग प्रक्रिया में बड़ा अंतर है। भारत में जहां ईवीएम का इस्तेमाल होता है, वहीं अमेरिका की वोटिंग प्रणाली अपेक्षाकृत जटिल और भिन्न है। यहां वोटिंग की प्रक्रिया में ई-वोटिंग का इस्तेमाल तो होता है, लेकिन वह भी केवल ईमेल या फैक्स के माध्यम से।
अमेरिकी चुनाव: दो पार्टी सिस्टम और उम्मीदवारों की चुनौतियां
अमेरिका में दो प्रमुख राजनीतिक दल हैं – रिपब्लिकन और डेमोक्रेट। दोनों पार्टियों को अपने-अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित करने होते हैं। अमेरिकी संविधान के आर्टिकल 2, सेक्शन 1 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए पात्रता से संबंधित शर्तें बताई गई हैं:
1. उम्मीदवार पैदाइशी अमेरिकी नागरिक होना चाहिए।
2. उसकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए।
3. चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को कम से कम 14 साल अमेरिका में निवास करना अनिवार्य है।
बैलेट पेपर की ऐतिहासिक परंपरा और विवादित चुनावों का दौर
अमेरिका में बैलेट पेपर का उपयोग 18वीं सदी से हो रहा है, जिसे चुनावों की एक पुरानी परंपरा के रूप में देखा जाता है। यहां की ई-वोटिंग प्रणाली सीमित है और मतदाता केवल ईमेल या फैक्स के जरिए अपने वोट भेज सकते हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि अमेरिका के नागरिकों का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर विश्वास कम है, खासकर वोटिंग जैसी अहम प्रक्रिया में।
2000 के चुनाव तक, पंच-कार्ड वोटिंग मशीनों का भी उपयोग होता था, लेकिन इस प्रणाली ने काफी विवाद पैदा किए। जॉर्ज डब्ल्यू बुश और अल गोर के बीच हुए चुनाव को “हैंगिंग चैड्स” विवाद के कारण याद किया जाता है। पंच-कार्ड बैलेट में मतदाताओं को अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम पर छेद करना होता था, लेकिन सही छेद न होने से कई वोट निरस्त कर दिए गए। अंततः यह विवाद तब समाप्त हुआ, जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोरिडा में पुनर्मतगणना रोकते हुए जॉर्ज डब्ल्यू बुश को विजेता घोषित कर दिया।
अमेरिकी वोटिंग सिस्टम: पारंपरिक बैलेट से ई-वोटिंग तक
अमेरिका में भले ही ईवीएम का उपयोग नहीं होता, लेकिन यहां की चुनाव प्रक्रिया लोकतंत्र की गहरी जड़ें दिखाती है। यहां मतदाता पेपर बैलेट को प्राथमिकता देते हैं, जिसे वे ईमेल या फैक्स के माध्यम से जमा कर सकते हैं। तकनीकी विकास के बावजूद, अमेरिका में वोटिंग प्रक्रिया में पारंपरिक तरीकों की पकड़ आज भी मजबूत है, जिससे मतदाताओं का विश्वास बना रहता है।