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India-US relations: Can religious issues become a cause of conflict? भारत-अमेरिका संबंध: क्या धार्मिक मुद्दे बन सकते हैं टकराव का कारण?

India-US relations: Can religious issues become a cause of conflict? भारत-अमेरिका संबंध: क्या धार्मिक मुद्दे बन सकते हैं टकराव का कारण?

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के रिश्तों में हमेशा से कूटनीति और व्यापारिक समझौतों का प्रमुख स्थान रहा है, लेकिन इस बार धार्मिक मुद्दे एक नई चुनौती बन सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हुए थे, लेकिन अब धार्मिक मुद्दों के कारण इन रिश्तों में खटास आ सकती है।
India-US relations: Can religious issues become a cause of conflict?  भारत-अमेरिका संबंध: क्या धार्मिक मुद्दे बन सकते हैं टकराव का कारण?
ट्रंप ने अपने चुनावी भाषण में ईसाइयत को बढ़ावा देने की बात कही है, जो भारत के लिए संवेदनशील मुद्दा है। भारत में अक्सर ईसाई धर्म से जुड़े कुछ संगठनों पर जबरन धर्मांतरण कराने के आरोप लगते रहे हैं, जिसे भारतीय समाज और संस्कृति के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है।

अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष जिम रिश ने भी भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और चर्चों की फंडिंग पर प्रतिबंध को लेकर चिंता जाहिर की है। माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान व्हाइट हाउस में कुछ धार्मिक समूहों को विशेष समर्थन मिल सकता है, जो भारत में ईसाई समुदाय और चर्च से जुड़े मुद्दों को लेकर सख्त रुख अपना सकते हैं।

हाल ही में मणिपुर जैसे राज्यों में हुए धार्मिक संघर्षों ने इन मुद्दों को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इन घटनाओं के आधार पर भारत की धार्मिक नीतियों पर सवाल उठा सकता है।
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भारत की सरकार का स्पष्ट रुख है कि विदेशी वित्तपोषित एनजीओ और धर्मांतरण गतिविधियां भारतीय संस्कृति के लिए खतरा हैं। यही कारण है कि ऐसी गतिविधियों पर सख्ती से नियंत्रण की नीति अपनाई जाती है।

चुनौतियों के बीच सामंजस्य की आवश्यकता

डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक कूटनीतिक शैली और भारत की स्थिर नीति के बीच सामंजस्य बिठाना दोनों देशों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। धार्मिक मुद्दों पर विचारधाराओं का यह टकराव द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दे सकता है।

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