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पाकिस्तान में परिवार के भीतर शादियों से वंशानुगत बीमारियों का खतरा बढ़ा

ब्लड रिलेशन में पैदा हुए बच्चों को जीवनभर चिकित्सीय देखभाल की जरूरत

कराची। पाकिस्तान में परिवार के भीतर शादियों का प्रचलन एक नए स्वास्थ्य संकट को जन्म दे रहा है। चचेरे भाई-बहनों के बीच विवाह की परंपरा के कारण वंशानुगत बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में 65-70% और शहरी क्षेत्रों में 55-60% शादियां परिवार के भीतर होती हैं। इनमें से 46% विवाह सगे चचेरे भाई-बहनों के बीच होते हैं, जो अगली पीढ़ी के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड रिलेशन में विवाह के चलते जन्मे बच्चों को जीवनभर चिकित्सीय देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकारों की संभावना अधिक होती है, जिससे उनकी जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रथा पाकिस्तान में सांस्कृतिक और धार्मिक कारणों से प्रचलित है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस परंपरा को हतोत्साहित करने और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो भविष्य में यह समस्या और गंभीर हो सकती है, जिससे देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ेगा।

वंशानुगत बीमारियों से बच्चों पर असर

विशेषज्ञों के अनुसार, रक्त संबंधी विवाहों से बच्चों में बैड जीन का संचरण होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कई अनुवांशिक रोग जन्म लेते हैं। इनमें थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और अन्य ब्लड डिसऑर्डर प्रमुख हैं। आम समाज में जहां 2-3% बच्चों में जन्मजात विकार होते हैं, वहीं रक्त संबंधी विवाह में यह दर 6-8% तक बढ़ जाती है।

पाकिस्तानी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 9,000 से अधिक नवजात शिशुओं में थैलेसीमिया की पहचान होती है। वहीं, यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में प्रति 1,000 बच्चों पर 78 नवजातों की मृत्यु हो जाती है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है। लांसेट ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, वंशानुगत बीमारियों की दर पाकिस्तान में दुनिया में सबसे अधिक है।

स्वास्थ्य जागरूकता की जरूरत

विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि परिवार के भीतर विवाहों को रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है। यदि इस परंपरा पर नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो भविष्य में पाकिस्तान को स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

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