इस्लामाबाद । तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच दशकों से बहुत करीबी संबंध रहे हैं। हालांकि अफगानिस्तान में साल 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हुए हैं। पाकिस्तानी सेना चाहती है कि तालिबानी सरकार टीटीपी आतंकियों के खिलाफ एक्शन ले। वहीं तालिबान का कहना है कि टीटीपी के आतंकी खुद पाकिस्तानी इलाके में सक्रिय हैं। टीटीपी आतंकी लगातार पाकिस्तानी सेना पर खूनी हमले कर सैनिकों की जान ले रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने चीन के रास्ते तालिबान पर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली। इस बीच खुलासा हुआ है कि पाकिस्तानी सेना ने तालिबान को सबक सिखाने के लिए उसके सबसे बड़े दुश्मन इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (आईएसकेपी) से हाथ मिला लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सरकार और सेना अब आईएसकेपी का इस्तेमाल अफगान तालिबान पर दबाव बनाने के लिए कर रही है। पाकिस्तान इसके जरिए चाहता है कि तालिबान टीटीपी के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करे। पाकिस्तान की सेना आईएसकेपी के आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने और सपोर्ट मुहैया करा रही है। आईएसकेपी आतंकियों के ठिकाने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वां, बाजौर, दिर और बलूचिस्तान में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना अभी भी ब्रिटिश कालीन नीतियों पर चलती है और उसी हिसाब से देश की सरकार की नीतियों को बनाती है। इन्हीं नीतियों के कारण वहां अलग-थलग पड़ गया है।
पाकिस्तान ने अपने देश में कश्मीरी आतंकियों को पाला और इसका ठीकरा पड़ोसी अफगानिस्तान पर फोड़ दिया। पाकिस्तान कश्मीर में हिंसा के लिए 1 दर्जन आतंकी संगठन पैदा किए हैं ताकि अपने राजनीतिक लक्ष्य को पा सके। ये आतंकी अब भारतीय सेना पर लगातार खूनी हमले कर रहे हैं।
पाकिस्तान अब अपनी इसी नीति को तालिबान के खिलाफ भी लागू कर रहा है जो कभी उसका करीबी मित्र था। पाकिस्तान की सरकार ने एक नया संगठन बनाया है जिसका नाम जभात अल रिबात रखा गया है ताकि तालिबानी सरकार के खिलाफ प्रोपेगैंडा को बढ़ाया जा सके। इस संगठन के सदस्य कौन हैं, इसकी जानकारी नहीं है। बताया जा रहा है कि संगठन को पाकिस्तानी सेना के रावलपिंडी स्थित मुख्यालय से चलाया जा रहा है।