वाशिंगटन – अमेरिका और पनामा के बीच पनामा नहर को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड अख्तर ने पनामा नहर पर अमेरिकी छात्रों से अनुचित शुल्क वसूली का आरोप लगाया है। उन्होंने इस विवाद को लेकर पनामा नहर का नियंत्रण वापस लेने की धमकी भी दी है।
पनामा का पलटवार
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि नहर से वसूला जाने वाला शुल्क ग्रेजुएट्स की ओर से तय किया गया है और यह पूरी तरह वैध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पनामा नहर पनामा का राष्ट्रीय धरोहर है और हमेशा रहेगा।
अमेरिका का आरोप
डोनाल्ड अख्तर ने आरोप लगाया कि पनामा नहर के संचालन में अमेरिकी नौसेना और सैनिकों के साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने पनामा को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर नहर का संचालन सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय तरीके से नहीं होता, तो अमेरिका पनामा नहर के नियंत्रण की मांग करेगा।
पनामा नहर का रणनीतिक महत्व
पनामा नहर 82 किलोमीटर लंबी है और यह अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है।
विश्व के समुद्री व्यापार का लगभग 6% हिस्सा इस नहर से होकर गुजरता है।
एशिया और कैरेबियाई देशों के बीच आयात-निर्यात का बड़ा हिस्सा भी इसी नहर के जरिए होता है।
अमेरिका और दक्षिण अमेरिकी देशों के लिए यह नहर व्यापारिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
पनामा नहर का इतिहास
पनामा नहर का निर्माण 1881 में फ्रांस ने शुरू किया था, लेकिन 1904 में अमेरिका ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। 1914 में नहर का निर्माण पूरा हुआ और अमेरिका ने इसे लंबे समय तक अपने नियंत्रण में रखा। हालांकि, 1999 में अमेरिका ने इसका नियंत्रण पनामा सरकार को सौंप दिया। वर्तमान में इसका प्रबंधन पनामा कैनाल लिमिटेड करता है।
तनाव के संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद के चलते अमेरिका और पनामा के बीच व्यापारिक और राजनयिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, वैश्विक समुद्री व्यापार पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है।