ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कट्टरपंथी महिला उम्मीदवार

पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए पेश की दावेदारी
तेहरान,। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की 19 मई 2024 को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनके निधन के बाद देश नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 28 जून को मतदान होना है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब तक करीब 40 उम्मीदवारों ने इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद, पूर्व आईआरजीसी कमांडर वाहिद हघानियान, सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पूर्व सचिव सईद जलीली शामिल हैं।
इसमें एक और नाम है जिसकी खूब चर्चा हो रही है। पूर्व महिला सांसद जोहरेह इलाहियन एक मात्र महिला उम्मीदवार हैं जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए दावेदारी पेश की है। अगर इलाहियन इस पद के लिए चुन ली जाती हैं तो यह ईरान के इतिहास में पहली बार होगा जब कोई महिला राष्ट्रपति बनेगी।
इलाहियन हिजाब की समर्थक हैं। कनाडा सरकार ने इसी साल मार्च में उनपर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि वह ईरान के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं के लिए मौत की सजा का समर्थन कर रही हैं। इलाहियन पेशे से डॉक्टर हैं और दो बार सांसद और संसद की नेशनल सिक्योरिटी एंड फॉरेन पॉलिसी कमेटी की मेंबर भी रह चुकी हैं। इलाहियन कट्टर विचारों के लिए जानी जाती हैं। राष्ट्रपति पद के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के बाद इलाहियन ने भ्रष्टाचार से लड़ने का संकल्प लिया और मजबूत सरकार, मजबूत अर्थव्यवस्था और मजबूत समाज का नारा दिया है।
साल 2018 में संयुक्त अरब अमीरात की प्रिंसेस लतीफा अपने एक फ्रेंच मित्र की मदद से यूएई से भाग गई थीं। उन्हें भारतीय सीमा के पास से गिरफ्तार कर वापस उनके देश भेज दिया गया था। इसके कुछ सालों बाद यूएई प्रिंसेस लतीफा ने अपने आप को बंधक बनाए जाने का दावा किया था। इस पर इलाहियन ने लतीफा को ईरान आने की सलाह दी थी। इलाहियन ने कहा था कि वे अगर ईरान आती हैं तो उन्हें इस्लामिक कानून के तहत आजादी से जीने का अधिकार दिया जाएगा।
मीडिया के मुताबिक इलाहियन की उम्मीदवारी के रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। ईरान के संविधान में यह साफ नहीं है कि एक महिला वहां की राष्ट्रपति बन सकती है या नहीं। यह एक विवादस्पद आर्टिकल ‘गार्जियन काउंसिल’ की व्याख्या पर निर्भर करती है। ‘गार्जियन काउंसिल’ कुछ उच्च अधिकारियों का एक समूह है। ये काउंसिल इतिहास में कई बार अहम पदों के लिए महिला उम्मीदवारों की नियुक्ति को अवैध ठहरा चुकी है।

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