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वजह आई सामने….क्यों ऑस्ट्रेलिया से निकले गए थे चार भारतीय खुफिया अधिकारी

सिडनी । ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) की जांच के अनुसार, करीब चार भारतीय खुफिया अधिकारियों को 2020 में ऑस्ट्रेलिया छोड़ने को कहा गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर संवेदनशील रक्षा प्रौद्योगिकी और हवाई अड्डे की सुरक्षा प्रोटोकॉल तक पहुँचने का प्रयास किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चार अधिकारी चुपचाप ऑस्ट्रेलिया छोड़ गए और यह मुद्दा द्विपक्षीय रूप से नहीं बढ़ा।
अधिकारियों के निष्कासन ने भारत को रूस और चीन जैसे देशों के बराबर खड़ा कर दिया है, जो विदेशों में प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए कुख्यात हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया, वे पूर्व और वर्तमान राजनेताओं के साथ-साथ राज्य पुलिस सेवा को भी निशाना बना रहे थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि उन पर ऑस्ट्रेलियाई भारतीय समुदाय की निगरानी करने का भी आरोप लगाया गया था।
रिपोर्ट ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन के प्रमुख माइक बर्गेस द्वारा 2021 में खुलासा किए जाने के वर्षों बाद आई है कि संगठन ने ऑस्ट्रेलिया में जासूसों के एक घोंसले को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था।
बर्गेस ने कहा था, हमने विदेशी जासूसों का सामना किया और चुपचाप और पेशेवर तरीके से उन्हें हटा दिया। इससे पहले अप्रैल 2024 में, एक मीडिया रिपोर्ट में बताया कि भारत की विदेशी खुफिया सेवा, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के दो अधिकारियों को 2020 में ऑस्ट्रेलिया से निकाला गया था। इसके बाद, स्कॉट मॉरिसन सरकार द्वारा कई भारतीय अधिकारियों को ऑस्ट्रेलिया से हटाया जा रहा था। मई 2022 में मॉरिसन के बाद एंथनी अल्बानीज प्रधानमंत्री बने। इन रिपोर्टों में भारतीय प्रवासियों के सदस्यों की निगरानी और उन्हें डराने-धमकाने में भारतीय खुफिया एजेंसियों की कथित गतिविधियों की ओर भी इशारा किया गया। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने तब 2020 की घटना की पुष्टि करने से इंकार किया था, लेकिन उन्होंने हमारे [ऑस्ट्रेलियाई] लोकतंत्र की लचीलापन सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें विदेशी हस्तक्षेप के किसी भी सुझाव का सामना करना भी शामिल है।

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