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अफ्रीका में भयंकर अकाल: नदी-तालाब सूखे, जमीन में दरारें, जनजीवन प्रभावित

*लुसाका:* अफ्रीका के कई देश इन दिनों सूखा और अकाल की भयंकर स्थिति का सामना कर रहे हैं। जिम्बॉब्वे में 1981 के बाद से सबसे बुरे सूखे का सामना किया जा रहा है, जिसका असर बोत्सवाना और अंगोला के कई क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। जिम्बॉब्वे और जाम्बिया में इस साल की शुरुआत में बाढ़ आई थी, जिसके बाद हैजा फैलने के साथ-साथ अब सूखे की स्थिति ने स्थिति और गंभीर कर दी है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि लोगों के भरण-पोषण के लिए हाथियों को मारने तक की चर्चा हो रही है।

**सूखा और अकाल का व्यापक असर**
अफ्रीका के जिम्बॉब्वे, मोजाम्बीक, बोत्सवाना, अंगोला और मलावी जैसे देशों में पिछले चार दशकों का सबसे भयावह सूखा देखा जा रहा है। फरवरी 2024 से शुरू हुआ यह सूखा अब तक जारी है, जिससे इन देशों की नदियां और तालाब पूरी तरह से सूख चुके हैं। फसलों का भारी नुकसान हुआ है, और लाखों लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है।

**अल नीनो बना सूखे का कारण**
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस लंबे सूखे का कारण अल नीनो प्रभाव है। सामान्यत: ऐसा सूखा 10 वर्षों में एक बार आता है, लेकिन अल नीनो के कारण इसका प्रभाव दोगुना हो गया है। यूरोप के कई देशों ने भी अल नीनो से पहले ही सूखे का सामना किया है। नीदरलैंड्स, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश इस साल भीषण सूखे की चपेट में आ चुके हैं।

**खतरनाक हालात और खाद्य संकट**
अफ्रीकी महाद्वीप में पानी की कमी से स्थिति बेहद भयावह हो चुकी है। नदियां, तालाब और अन्य जल स्रोत सूख गए हैं, जिससे न केवल मानव जीवन, बल्कि पशुओं का जीवन भी संकट में है। जमीनों में सूखे से दरारें पड़ चुकी हैं, और कृषि उत्पादन लगभग समाप्त हो चुका है। इसके चलते खाद्य सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। जिम्बॉब्वे में फरवरी के बाद सूखे के कारण फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गईं, और महाद्वीप के अन्य हिस्सों में भी खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है।

**संयुक्त राष्ट्र का प्रयास भी विफल**
संयुक्त राष्ट्र का वर्ल्ड फूड प्रोग्राम भी अफ्रीकी देशों को इस संकट से उबारने में असमर्थ साबित हो रहा है। जिम्बॉब्वे और जाम्बिया में बाढ़ और हैजा के बाद सूखा ने हालात बद से बदतर बना दिए हैं। अब जिम्बॉब्वे में लोगों के भोजन की व्यवस्था के लिए 200 हाथियों को मारने का प्रस्ताव सामने आया है, जो सूखे की भयावहता को दर्शाता है।
अफ्रीका में सूखे और अकाल ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, और इससे बाहर निकलने के लिए अब केवल बारिश पर ही आस लगाई जा रही है। मौजूदा हालात में फसलों का नुकसान और पानी की कमी ने जनजीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है, जिससे महाद्वीप के कई देशों में भुखमरी का खतरा बढ़ गया है।

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