Women took the reins in many countries including India and Pakistan, but America lagged behind.महिलाओं ने भारत-पाक समेत कई देशों में संभाली बागडोर, लेकिन अमेरिका पीछे
235 साल बाद भी अमेरिका में महिला राष्ट्रपति नहीं, लोकतंत्र पर उठ रहे सवाल
वॉशिंगटन। अमेरिका में एक बार फिर महिला राष्ट्रपति बनने की उम्मीद टूट गई है। हालिया राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की, जबकि डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस पीछे रह गईं। इस नतीजे ने अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों और महिला नेतृत्व की संभावनाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, 1872 में विक्टोरिया वुडहुल पहली महिला थीं, जिन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। लेकिन 235 साल से भी ज्यादा का समय बीतने के बाद भी अमेरिका को पहली महिला राष्ट्रपति नहीं मिल सकी है। हालांकि, अमेरिका में कई उच्च पदों पर महिलाओं ने सफलता प्राप्त की है, लेकिन राष्ट्रपति पद पर उनकी अनुपस्थिति यह दिखाती है कि अमेरिका अभी भी महिला नेतृत्व को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाया है।
Women took the reins in many countries including India and Pakistan, but America lagged behind
2016 में हिलेरी क्लिंटन ने भी राष्ट्रपति पद के लिए जोरदार चुनाव लड़ा था। उन्होंने ट्रंप के मुकाबले 28 लाख ज्यादा पॉपुलर वोट हासिल किए, लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज में पिछड़ने के कारण हार गईं। इस बार भी कमला हैरिस को हार का सामना करना पड़ा, जो अमेरिका के लोकतांत्रिक स्वरूप और महिला नेतृत्व की स्थिति पर सवाल खड़ा करता है।
अन्य देश महिलाओं को दे रहे मौका
अमेरिका जहां अब तक महिला राष्ट्रपति का इंतजार कर रहा है, वहीं दुनिया के कई देशों ने महिलाओं को शीर्ष नेतृत्व का मौका दिया है। 1960 में श्रीलंका ने सिरीमावो भंडारनायके को प्रधानमंत्री बनाकर इतिहास रच दिया। 1966 में भारत ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया। इंदिरा गांधी को आज भी भारत के सबसे सशक्त प्रधानमंत्रियों में गिना जाता है। 1988 में पाकिस्तान ने बेनजीर भुट्टो को प्रधानमंत्री बनाकर महिला नेतृत्व को नया आयाम दिया।
क्या अमेरिका महिला राष्ट्रपति के लिए तैयार है?
अमेरिका में महिलाओं की राजनीति में सक्रिय भागीदारी के बावजूद अब तक सर्वोच्च पद पर उनकी गैरमौजूदगी पितृसत्तात्मक व्यवस्था की ओर इशारा करती है। क्या अमेरिका महिला राष्ट्रपति के लिए तैयार है? यह सवाल अमेरिकी समाज के लिए चुनौती बना हुआ है। लोकतंत्र के सबसे पुराने समर्थक माने जाने वाले देश में यह स्थिति दर्शाती है कि सामाजिक और राजनीतिक मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है।