बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान पर अपने दावे को दोहराते हुए कहा कि ताइवान चीन का पवित्र क्षेत्र है और बीजिंग ताइवान की स्वतंत्रता का कड़ा विरोध करता है। यह बयान उन्होंने राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर दिया। जिनपिंग ने अपने संबोधन में विभाजनकारियों को कड़ा संदेश देते हुए चीनी जनता से अपील की कि वे सभी अनिश्चितताओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।
जिनपिंग का यह बयान तब आया है जब ताइवान और चीन के बीच संबंधों में तनातनी जारी है। ताइवान अपने को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है, जबकि चीन उसे एक विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है और इसके पुनर्मिलन की बार-बार घोषणा करता है।
राष्ट्रपति जिनपिंग ने नागरिकों से कहा कि चीनी लोग मानवता की शांति और विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हैं। उनका यह भाषण पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दिया गया, जिसे 1 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ताइवान के मुद्दे पर चीन की स्थिति और बढ़ती हुई चिंताएं
जिनपिंग का यह बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंताएं पैदा करता है, खासकर उस समय जब ताइवान के साथ चीन के संबंधों में निरंतर तनाव बढ़ रहा है।
संदेश का महत्व
राष्ट्रपति का यह भाषण चीन की नीतियों और ताइवान के प्रति उसके दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि बीजिंग इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं बरतने वाला है।
यह घटनाक्रम ताइवान के भविष्य और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बन गया है, और इससे वैश्विक सुरक्षा के परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।