ढाका। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के खिलाफ अंतरिम सरकार की बयानबाजी लगातार सुर्खियों में है। इसी कड़ी में मोहम्मद यूनुस सरकार ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अंतरिम सरकार की एक जांच समिति का दावा है कि शेख हसीना के शासनकाल में कई बांग्लादेशी नागरिकों का गायब होना भारत से जुड़ा हो सकता है।
जांच समिति की रिपोर्ट
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतरिम सरकार की पांच सदस्यीय जांच समिति ने इस मामले की विस्तृत जांच की है। समिति का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के जज मनूल इस्लाम चौधरी ने किया। उन्होंने कहा कि 1,676 बांग्लादेशी नागरिकों के गायब होने की घटनाओं की जांच में पाया गया कि इनमें से 758 मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई, जबकि 200 लोग अभी तक लापता हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन, जो इस समिति का हिस्सा हैं, ने कहा कि गायब हुए लोगों में से कुछ के भारतीय जेलों में होने की संभावना है। उन्होंने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की बात कही।
भारत पर दो प्रमुख आरोप
जांच समिति ने दो मामलों का विशेष रूप से जिक्र किया:
1. शुक्रमंजन बाली का मामला:
बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट परिसर से गायब हुए बाली को बाद में एक भारतीय जेल में पाया गया।
2. सलाउद्दीन अहमद का मामला:
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता सलाउद्दीन अहमद का अचानक गायब होना और बाद में भारत में उनका पता चलना।
आयोग की मांग और सिफारिशें
जांच समिति ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है कि भारतीय जेलों में बंद बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच बंदियों की पहचान और उनके भविष्य को लेकर गुप्त खुफिया जानकारी सामने आई है।
भारत विरोधी बयानबाजी तेज
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में भारत विरोधी घटनाएं और बयानबाजी बढ़ गई है। हिंदुत्व पर हमलों और अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाएं लगातार हो रही हैं। अंतरिम सरकार के नेता भारत पर कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ता जा रहा है।